mangal puja ujjain mangalnath me kyo ki jati hai ?

मंगल पूजा उज्जैन मंगलनाथ मैं करने की एक खास वजह यह है कि पुराणों में यह स्थान मंगल ग्रह का जन्म स्थान बोला गया है|सभी ग्रहोंमे मंगल एक अग्नि ग्रह बताया गया है। मंगल को अंगारक भी कहा जाता है।जिस भी जातक की कुंडली में मंगल दोष का प्रभाव है, उस व्यक्ति को जीवन में शादी में रूकावट, शारीरिक और आर्थिक परेशानी, भूमि हानि जैसी परेशानियोंका सामना करना पड़ता है। सभी दिक्कतोंसे छुटकारा पाने के लिए देश विदेश से उज्जैन में मंगलनाथ मंदिर मंगल भात पूजा करने के लिए आते है|

kaise ki jati hai mangal puja ujjain mangalnath mandir me ?

श्री गजानंद गणपति महाराज की जय महाकाल महाराज की जय हरसिद्धि मैया की जय जय महारानी की जय गंगे महारानी की जय श्री मंगल नाथ भगवान की जय वक्रतुंडा महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा|

भगवान मंगल का पूजन यहां पर इस प्रकार से होता है सर्वप्रथम अपने ऊपर पवित्रीकरण किया जाता है फिर भगवान का इस प्रकार से पूजन अर्चन करते हैं चावल रखकर के भगवान गणेश जी महाराज का ध्यान करना है कि भगवान गणेश जी महाराज आप सभी विघ्नों को हरने वाले हैं हम जो यहां पर पूजन अर्चन करने आए हैं इस पूजन में कोई विघ्न बाधा नहीं आए हम हमारे जीवन में जो भी कार्य करें उसमें कोई विघ्न बाधा नहीं आए फिर भगवान को वेदों के मंत्र से आमंत्रित किया जाता है फिर वह चावल भगवान गणेश जी के ऊपर चढ़ाए जाते हैं फिर भगवान को 12 नामों से नमस्कार करना रहता है कि जहां जहां पर नमाज शब्द आए वहां पर सिर झुका कर प्रणाम करना है और नमाज शब्द का उच्चारण करना है श्रीमन महा गणपतए नमः लक्ष्मी नारायण ध्यान नमः उमामाहेश्वरा नमः वाणी हिरण्यगर्भया नमः सच्ची पुरंदर आप ध्यान नमः इष्ट देवता ध्यान नमः कुल देवता नमः ग्राम देवता नमः स्थान देवता नमः सर्वोदय वैभव नमः
पुनः भगवान गणेश जी को पुराणों के मंत्र से वाचन किया जाता है चावल रख कर के अपने हाथों में फिर भगवान को इनवाइट किया जाता है कि भगवान हम जो ब्राह्मण के मुख्य सुनेंगे श्रवण करेंगे वह हमारे लिए हमारे परिवार के लिए मंगलकारी हो लाभकारी हो भगवान का वाचन किया जाता है मंत्रों के द्वारा फिर यहां पर संकल्प किया जाता है संकल्प का यह महत्व है कि हम किस स्थान पर बैठकर के पूजन अर्चन कर रहे हैं किस कामनाओं को ले करके हम पूजन अर्चन कर रहे हैं हम कहां से आए हैं हमारा जन्म स्थान क्या है हमारा वर्तमान स्थान क्या है हमारे माता पिता का नाम हमारा कार्य हम किन कार्यों को लेकर के यहां पर आए हैं किस तिथि में किस मुहूर्त में आज कौन सा दिन है आज कौन सा वार है यह सारा संकल्प में बोला जाता है इस प्रकार से संकल्प होता है फिर गणेश जी का पंचामृत से पूजन अर्चन करते हैं अभिषेक होता है फिर भगव…
सर्वप्रथम भगवान गणेश जी का पूजन अर्चन किया दूसरा पूजन हमने भगवान वरुण का किया तीसरा पूजन हम करते हैं यहां पर हमारे कुल की देवी षोडश मातृका का पूजन अर्चन होता है उसमें एक आप की कुलदेवी का स्थान होता है यहां पर जो भी पूजन अर्चन करने आते हैं वह उनकी कुल की देवी का पूजन अर्चन करते हैं यहां पर भगवती को सौभाग्य सामग्री चढ़ाई जाती है लंबी आयु के लिए अच्छे वर के लिए अच्छे स्वास्थ्य के लिए और जो भी मनोकामना रहती है उन मनोकामना ओं को बोलते हुए सौभाग्य सामग्री चढ़ाई जाती है जैसे साड़ी ब्लाउज श्रृंगार का सामान आदि यह कुलदेवी का पूजन करते हैं भगवती को नैवेद्य लगाया जाता है पूजन होता है भगवती कि यहां पर आरती होती है
चौथा पूजन हमारे पितरों का आता है कोई भी व्यक्ति पूजन करने आता है वह उनके पितरों का पूजन अर्चन जरूर करता है पित्र हमारे पूर्वज लोग जो शांत हो गए हैं जो जीवित हैं उनका पूजन अर्चन यहां पर नहीं किया जाता है पित्र मतलब हमारे पूर्वज ना पूर्वज का यहां पर पूजन अर्चन होता है उनसे प्रार्थना की जाती है कि भगवान हम अवंतिका नगरी में आकर के जो पूजन अर्चन कर रहे हैं इस पूजन का संपूर्ण फल पूर्ण फल मेरे मेरे परिवार को प्राप्त हो गए और हम जो यहां पर आपका पूजन अर्चन कर रहे हैं हमारा पूजन मान्य करिएगा और यहीं पर शिप्रा नदी में वैकुंठ में वास करिएगा|
पांचवा पूजन भगवान मंगलनाथ देवता का होता है मंगलनाथ देवता 21 गृह के मालिक माने जाते हैं शादी विवाह जिसका नहीं होता है वह भी पूजन अर्चन करते हैं किसी का कोर्ट में केस चल रहा हो या किसी का जमीन जायदाद का केस चल रहा हो या किसी की शादी नहीं हो रही हो शादी की बात होते होते रह गई हो कोई भूमि से संबंधित किसी का ब्लड खराब रहता है किसी को कैंसर रहता है किसी की तबीयत खराब बहुत रहती है कोई भी कार्य हम करते हैं वह 90% तक हो जाता है और फिर बाद में बिगड़ जाता है इन सारी चीजों के लिए भगवान मंगल का पूजन अर्चन किया जाता है भगवान मंगल भूमि पुत्र माने जाते हैं भूमि से संबंधित जो भी कार्य रहता है उसके लिए भगवान मंगल का पूजन अर्चन किया जाता है हमारी जन्मपत्रिका में लग्न पत्रिका में गोचर पत्रिका में मासिक पत्रिका में भगवान मंगल दूसरे भाव में चौथे भाव में आठवें भाव में दसवें भाव में बारहवें भाव में मंगल है तो पत्रिका पूर्ण मांगलिक मानी जाती है भगवान मंगल का पूजन अर्चन करना भी बहुत जरूरी है जिस की पत्रिका में मंगल रहता है वह बोट गुस्से वाला रहता है इसलिए यहां पर भगवान का भात पूजन होता है उसको बोला जाता है दद्दू धन भात पूजन पूरा संपूर्ण पूजन अर्चन यहां पर होता है विश्व में मंगल का पूजन अर्चन केवल उज्जैन अवंतिका नगरी में ही होता है

Mangal Puja Ujjain Mangalnath ki vishesh jankari ?

*आपके जन्म कुंडली में मंगल का प्रभाव है या नहीं यह जानने के लिए आपका नाम, जन्म तारिक, जन्म समय, जन्म स्थान फोन पे कॉल करके या व्हाट्सप करके देना है। मंगल भात पूजा मंगलनाथ मंदिर में आप कोई भी दिन कर सकते है क्योंकि यह मंगल ग्रह का जन्म स्थान होने की वजह से कोई भी दिन पूजा की तो भी वही लाभ मिलता है। इस कारण वश यहाँ रोज ही पूजने होती है। मंगल भात पूजन २ से ३ घंटे चलती है|आप सुबह 7 से दोहपर 1 के बिच में आ सकते है, आप आने के बाद पूजन शुरू की जाती है।पूजन के लिए सभी सामग्री हमारी तरफ से सम्पन्न की जाती है। आते समय यजमान को कुछ भी नहीं लेकर आना है। मंगल पूजा कॉस्ट या खर्चा २१०० से ५१०० के बिच आता है
आप जिस भी दिन आने वाले है उस दिन से एक-दो दिन पहले मोबाइल नंबर पे कॉल करना जरूरी है। अधिक जानकारी के लिए आप वेबसाइट पे दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल कर सकते है।

mangalnath mandir aap kaise aa sakte hai ?

मंगलनाथ मंदिर मध्य प्रदेश राज्य में उज्जैन शहर में है। आप रेल से उज्जैन रेल स्टेशन आ सकते है। रेल स्टेशन से आप की मंगलनाथ मंदिर के लिए ऑटो रिक्शा मिल जाती है। 6 किलोमीटर का अंतर है आप २० मिनिट में मंगलनाथ मंदिर पोहोच जाते है।
अगर आप हवाई जहाज से आना चाहते है तो आपको इंदौर आना होगा। वहा से आप टैक्सी या रैलवे से 1 .30 घंटे में मंगलनाथ मंदिर आ सकते है।

mangal puja place

mangal puja ujjain mangalnath

mangal puja muhurat

मंगल पूजा ऑनलाइन भी हो सकती है अधिक जानकारी के लिए click 

Mangal puja ujjain mangalnath ke liye aap 08180885588 par call kar sakte hai.